दुनिया से तुम कभी ना डरना।
मुसीबतों से डट कर लड़ना ।
खुदगर्जी से रहना दूर।
किसी को मत करना मजबूर।
तुम हो मेरी प्यारी बेटी।
इतना कहना मनोगी?
चाहे कुछ भी हो जाए,
दिल ना कभी दुखाओगी।
मान हमेशा बड़ों का रखना।
छोटो को तुम देना प्यार।
भूल ना जाना माँ का कहना ।
माँ की शिक्षा, माँ का प्यार ।
माँ की छोटी-छोटी बातें ।
रखती थी मैं उनका ख्याल।
फिर एक दिन देखा मैनें ,
एक भी सीख ना आयी काम ।
मैंने जिनको अपना माना,
करने लगे वही बदनाम ।
बात बड़ों की मानी मैनें,
छोटो को दिया सम्मान ।
पर मुझे बेवकूफ कहकर,
किया गया मेरा अपमान ।
मरणासन्न में पहुंच गयी थी,
भूल गया अपना ही प्यार।
लोगों की बातों में आकर,
करने लगा मेरा तिरस्कार ।
फूट-फूट कर रोयी मैं फिर,
माँ को बोली, यही है प्यार?
माँ तुमने मुझको अपनाया,
भला बुरा मुझको सिखलाया।
लेकिन इन बातों ने मुझको,
हंसी का है पात्र बनाया ।
मैनें सीख लिया जीवन में,
ज्यादा संस्कारी मरता है।
फूहड़ है जो, ढोंगि है जो,
वो इस दुनिया में बसता है।
अपना आत्मसम्मान बड़ा है,
उसकी इज्जत करना सीखो।
दुनिया से क्या लेना देना,
अपने पथ पर बढ़ना सीखो ।
- कंचन रौतेला रावत।