अच्छा नहीं लिखता पता हे मुजे पर
जो आपने सोचा हे उतने जाया भी नहीं
जो देखे वोहि लिखे
येह कोई खोखले जजबात नहीं
कोई अनसुनी आहट हे अंदर
येह कोई चार दिवार वाली बात नहीं
किसीने पीठ को ठोका,किसीने रास्ता रोका
येह कोई वाह वाह वाली बात नहीं
फ़रिश्ते बने बेठे रेहते हे लोग जमीं पे
येह कोई बाहरी ख़्वाब से बढ़कर बात नहीं
फ़क़त सोच ही नीच होती हे कुछ इंसान की
येह कोई जात वाली बात नहीं
Bharat d Vinzuda