आज मैंने फेश बुक पर पढ़ा जहां लिखा था कि " हिजड़े वो नहीं होते,
जो साड़ी पहनकर,
. सड़़कों पर घूमते हैं,
बल्कि वो होते हैं,
जो हिन्दू होकर हिन्दुत्व
का विरोध करते हैं"
नही मेरी नज़र में वह लोग हिजड़े की श्रेणी में आते हैं
, जैसे-वह भाई जो चन्द रूपयों के लिए बचपन में साथ
खेले, पढ़ें, साथ बड़े हुए भाई के जीवन में जहर घोल देता है, वह सास जो देवरानी जेठानी को आपस में लड़वा कर एक दुसरे की दुश्मन बना देती है, एक बहू को खुब सम्मान देती है, उसके इशारों पर नाचती हैं, वहीं दूसरी बहूं को नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। वह नन्द जो अपना घर सम्भाला नहीं जाता मायके में अपनी भाभी का जीना मुश्किल कर देती है, काम के डर से मायके में पड़ी रहती है। वो मां जो एक बेटे को कम प्यार करती है और दूसरे को ज्यादा, भाई को भाई का दुश्मन बना देती है। वह पति जो भाभी को बीबी की तरह प्यार करता है और बीबी को नौकरानी की तरह रखता है। पवित्र रिश्तों में जहर घोलने वाला हर एक इंसान मेरी नज़रों में गिरे हुए हैं, इन्हें हिजड़ा कहना हिजड़ों का अपमान होगा, हिजड़े तो सम्माननीय है वह तो केवल कुदरत की मार झेल रहे हैं।