कुछ अनकही बातें ,
कुछ दबे हुए राज
सीने में ही रहने दो,
कुछ अनकहे अल्फाज़
बहुत सी बातें है,
जो कभी बता नहीं पाया
होठों पर आए शब्द पर बोल नही पाया
सुना तो कुछ तुमने भी होगा
आखिर मौन की भी भाषा होती है
होंठ दे जाएं धोखा तो आंखे बोलती है
सच बताओ क्या सुनी तुमने
वो अनकही बातें
क्या मुझे याद करके
जागते हुए बिताई रातें
कुछ प्रश्न थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे
इन आंखों को कुछ ख़्वाब सुनहरे चाहिए थे
कुछ क्यों नहीं कहा तुमने
कुछ पूछा क्यों नही
कुछ अनकहा था हमारे बीच
उसे सुना क्यों नही
हमराह,हमसफर हो सकते थे,
पर क्या करे
कुछ हमने कहा नही,
कुछ तुमने सुना नही
-Manish Sidana