तुम पढ़ सकते हो
तो क्या हर बात लिखूँ?
मैं लिख सकती हूँ
तो क्यों हर ख़यालात लिखूँ?
ज़मीं पर पांव दबोच कर
जो दे सकते हो जवाब
तो चलो आसमा पर सवालात लिखूँ!
तुम्हें रोशनाई की चादर मुबारक
तुम्हारे कहे दिन को
मैं क्यों दिन मे रात लिखूँ?
लोग देखेंगे जरूर ये तमाशा
चंद पलों की मशहूरी को
क्यों ताउम्र के हालात लिखूँ?
जाने दो!
एक आखिरी बार सही
काग़ज़ के कोरे सीने पर
अपने कोरे जज़्बात लिखूँ
तुमसे एक मुलाक़ात लिखूँ!
मैं लिख सकती हूँ
चलो ये ख़यालात लिखूँ,
तुम पढ़ सकते हो
तो चलो ये बात लिखूँ!
-सुषमा तिवारी