नसीबो को दोष दिए बैठे हे
हम भी आजकल खामोश बैठे हे
पूछते है लोग सबब ए चाहत का असर
हम भी आँखों में आंसू और होठो पे मुस्कान लिए बैठे हे
नहीं आती गिनती ए मेरे दोस्त
हम भी हर किसीको सच्चा बनाये बैठे हे
किस्मतो पे काफी भरोषा दीखता हे हमे इसलिए
देखने वालोंसे कई बार हाथ दिखाए बैठे हे
कोई रोक और रूकावट नहीं थी रास्तो में
जिसको देखा साथ उसको अपना बनाये बैठे हे
तौबा हो गयी हे इस जिंदगी से भरत
जिसको रखा आँखों में उन्ही से रुलाये बैठे हे
BHARAT D VINZUDA