छले जाना वैसे भी दुःखद होता है, मगर सबसे दुःखद होता है प्रेम में छले जाना.. हां-हां मैं यह जानती हूं कि यहां छले जाने की संभावना सबसे ज्यादा होती है लेकिन उम्मीद सबसे कम... हम सब इस भ्रम में जीवित रहते हैं कि हम यहां कभी नहीं छले जाएंगे क्योंकि उसने तो देखा है मुझे, उसने जाना है उसके अलावा कोई और बसेरा है ही कहाँ मेरा.. वो जनता है कि वो ही मुझे बंधे रखने की डोर है ये डोर हटी तो मैं बिखर जाऊंगी और फिर खुद को कभी समेट नहीं पाऊंगी.. कोई जब इतना कुछ जानता है मेरे बारे में तो वो शायद मुझे कभी नहीं छलेगा.. और फिर ये भ्रम टूट जाता है, औरों की तरह हम भी छले जाते हैं, बिखर जाते हैं, फिर अपने बिखरेपन के साथ ही जीवित रहते हैं