निकल पड़ा था तूफान बनकर , वो मंजर भी याद है मुझको
वो दृश्य भी दर्शनीय था ,
जब लंका में हनुमान गए , अपने राम के काज के लिए ,
अपनी जान की फिक्र उस हनुमान को भी ना थी ,
और इस हनुमान को भी ना है , ये जान कर की
सर पर हाथ तो राम का है ।
dedicated to Wing commander Abhinandan ....
-RITESH PANDEY