बहना है तो देख के बहो,
बहने को तो किनारों की रेत भी l
लहरों मे बह जाती है l
सोच के बहती तो पानी मे ही रहती,
हर बार जमीन मे नहीं आ टिकती ll
उड़ना है तो अपने पर खोलो,
उड़ती तो पतंग भी है l
हौसलों की डोर अपने पास रखो,
दूसरों के हांथ है तभी तो कटती पतंग है ll