#तनाव #tension
१. जब हम दिमाग से कुछ सोचते हैं, यह नहीं होता है या कुछ होता है, यह हमने नहीं सोचा है और यह प्रतिकूल है, तब दिमागी तनाव पैदा होता है।
२. जब हमें कुछ दिल से पसंद है, और वह नहीं होता है या जो होता है वह हमें पसंद नहीं, तब अपने दिल में तनाव पैदा होता है।
३. जब हम दिमाग से सोचते हैं वह दिल को पसंद नहीं तब आंतरिक दिल और दिमाग से तनाव का अनुभव करते हैं।
४. इसी प्रकार जब हमारे पास बहुत विकल्प है और हम कुछ निर्णय नहीं ले पाते, तब भी दिल या दिमाग में तनाव पैदा हो सकता है।
५. दिल और दिमाग से उत्पन्न हुआ तनाव, शारीरिक तनाव पैदा करता है।
६. तनावपूर्ण मनुष्य गलतियां करता है।अपनी जबान पर काबू खो बैठता है, कल्पना शक्ति कमजोर हो जाती है और वह बीमारियों का शिकार भी हो सकता है।
७. तनाव के दो प्रकार है स्थायी और अस्थायी।
८. गुस्सा आना, जलन ईर्ष्या, नफरत और तिरस्कार, बातचीत न करना, स्वार्थी जीवन बिताना, परस्पर विरोधी दिमाग से सोचना और दिल में अनुभव करना, दुखी रहना, चिंतित रहना वगैरह तनावपूर्ण जीवन निशानियां है।
९. मानव विकास तब ही हो सकता है जब वह तनावहीन जीवन बिताए। और जब एक मानव, दूसरों के तनाव दूर करने का प्रयत्न करें यही" मानवता "है।
#Humanist movement
(To humanize the earth)
Booklet of themes humanist aspects of #peace and #nonviolence in the internal and external world