🌹❤️गज़ल❤️🌹
. ❤️वो तबस्सुम से मेरा दर्द बढ़ा देते हैं।
अपने बीमार को क्या ख़ूब सजा देते हैं।
❤️आंखों आंखों में किए जाते हैं घायल मुझको।
बातों बातों में मेरे ग़म को बढ़ा देते हैं।
❤️जान लेकर ही हटेंगे ये ग़मों के साए
दिल पर लिख लिख के मेरा नाम मिटा देते हैं।
❤️रंग बनकर कहीं उड़ने को मैं चाहूं भी अगर
बेड़ियां पांव में है ऐहबाब लगा देते हैं।
❤️कितना कांटों भरा है "प्रीत" का रस्ता लेकिन
हम लहू से जिसे गुलज़ार बना देते हैं
❤️डॉ प्रियंका सोनी "प्रीत"❤️
-डॉ प्रियंका सोनी प्रीत