मुझे खिड़की बहोत पसंद है
सारे जहां को एक छोटीसी जगहसे देखनेको मिलता है ऊँची ईमारत या चलती बसकी खिडकीसे तो यह जोगी सुहानी शामको चाय के साथ जब तेरा हाथ न हो तो यह
सोलह कली खिलता है बस एक ही बातका रंज खलता है
सूरज अधूरासा ढलता है फिरभी, खिड़कीका साथ है, तो सब चलता है.
शायद इसी लिए मुझे खिड़की बहोत पसंद है ! सफर की साथी खिड़की मेरे अकेले पन को पूरा करती यह खिड़की मुझे खिड़की बहुत पसंद है !