यादो के झरोखों से
सदा ही तुम्हारे खयालो मे खोया रेहता हु
खुद को केहता हु खुद में ही खोया रेहता हु
जब से तुम्हे देखा था तब से लगी हुई है जंजीर
तुम्हारी यादो के झरोखों मे खोया रेहता हु
समज नही पाता ये दिल को लाख समजाया
पता नही है क्यु तुम्ही मे ही खोया रेहता हु
घर गलीया सब सुमशान लगती है अब दुनिया
तुम हो की नही इसी वजाह मे खोया रेहता हु
वो तेरा स्नेह था की समजोता समज नही पाया
फिर भी हितदान तेरे खयालो में खोया रेहता हु
कवि हितदान गढवी (सिंहढायच)
रामोदड़ी (हाल जामनगर)
-Kavi Hitdan 9023323724