कुछ इस तरह की कशमकश चली
दिल की सारी आहें जली
न मिली कभी खुद से लाख बुलाने पर
औरों के इशारे तो कहीं राहें चली
एसी जिंदगी की कुछ तस्वीरें
जो मुझसे आ गले मीली
फीर धुंआ सा उठ चला इस कदर
की ख्वाहिशों की सारी लिपटें जली
पुकारें प्यारा सा बचपन कल से
क्या जल्दी थी जो मासूमियत ना पली
सिमटी कुछ यादों की एसी झंडी
आंखों की वो बारिश ना रुकी चली
। - Kinjal savla