जो अभाव में थे वे सुखी थे
जो अभाव में थे वे जीवित थे
जो अभाव में थे वे ख़ुश थे
जो अभाव में थे वे भाव मे थे
जो अभाव में थे वे उम्मीद में थे
जो अभाव थे वे प्रेम में थे
जो अभाव में थे वे सफर में थे
जो अभाव में थे वे ज्ञान मे थे
जो अभाव में थे वे रोशनी में थे
अभाव को प्रेम किया
अभाव से जिया
अभाव से लड़ कर प्रेम किया
फ़िर सूरज पर, हवा पर ,पानी पर, भूख पर अभाव नहीं लिखा गया।
तुम जो न आते तो तुम्हारी साँस की कमी
ठहर जाती मुझ प़र
तुम्हारी पीठ प़र मैने लिखा था
संसार में प्रेम अभाव
हथेली से हाथ छुड़ाने पर
मेरी हथेली कसमसाती रही तुम्हारे स्पर्श के अभाव से
आसमान तारो को कटोरे में भरकर रखता
चांद के न होने पर
मछलियां नदी में खुश रहती है
जलधि मिठास के अभाव में रहता उदास
नदी की मछलियां
पोखर मे जाकर अनुराग गीत गाती हैं
जलधि __ समुद्र
#Neelam