रिश्ते
कभी जुड़े जुड़े ये रिश्ते ,
साथ होकर भी मुड़े मुड़े ये रिश्ते.
कभी हंसते ,कभी सिसकते
रेत की तरह हाथ से फिसलते ये रिश्ते .
एक अजब सा माया जाल है
रिश्ते जिंदगी का बबाल है
कभी सहारा तो कभी ढाल हैं
अक्सर खामोशियों में शोर मचाते हैं रिश्ते
पुकारो तो कहीं दुबक जाते हैं रिश्ते
कभी पंतवार बने ,कभी मंझधार बने
कभी सर पर टंगी तलवार बने
मन को कभी गुदगुदा जाते हैं रिश्ते
बिखरे नहीं ,टूटे नहीं ,हाथ से कभी छूटे नहीं
निभाने हैं दिल में सजाने हैं रिश्ते
रिश्ते ये रिश्ते ,जैसे हैं रिश्ते
वर्षा उपाध्याय