सलूक उसने मुझसे किसी सिगरेट जैसा किया,
पहले जलाया फिर पिया, पऔन रखा बुझा दिया
बस तलब थी उसको मेरी कुछ वक़्त के लिए,
पहले लगाया होंतों से ओर फिर धुए मे उड़ा दिया,
अपनी सासे खिच क मेरी खुश्बू खुद मे बसा ली
ओर मेरी जलती हुई राख को अपनी उंगलियो से गिरा दिया