हर रिश्ता एक पौधा है
पौधों को जैसे फूलने-फलने के लिए
खाद-पानी की जरूरत होती है
वैसे ही हर रिश्ते को
प्यार-विश्वास की जरूरत होती है
कठोर मिट्टी में
कोमल पौधों की जड़ें विस्तार नहीं पाती
अधिकार की भूमि कठोर होती है
यहाँ अक्सर
कोमल पौधों की जड़ें दम तोड़ जाती हैं
पौधा सूख जाता है ; रिश्ता टूट जाता है ।
अधिकारों के साथ कर्तव्यों का निर्वाह जरूरी है
अधिकारों-कर्तव्यों के मिश्रण से
जिन्दगी दोमट मिट्टी बन जाती है
रिश्तों की जड़ें गहरे तक जाती हैं
तभी रिश्तों के पौधों पर
सुगन्धित फूल खिलते हैं
सुख के मीठे फल फलते हैं