“आनंद कोई चीज नहीं हे ना ही कोई प्रक्रिया हे की जिसे आप कोई स्थानीय जगह पर जाकर यां फीर कोई मज़ाक़िया शो देख कर लुत्फ़ उठा सकते है, किन्तु यह तो परमात्मा का साक्षात स्वरूप है जो सिर्फ़ अनुभव किया जा सकता हे जिसकी अनुभूति परमात्मा के मिलन रूप है सदा आनंदी रहे परमात्मा में रहे”
-सदैव शाश्वतं