" यह पाट्टी को मुझसे कोई पुराने जन्म की दुश्मनी है क्या, हर समय मुझे कुछ ना कुछ सुनाती है! अब स्टेशन ही तो जाना है कौनसा हमे लंदन जाना है माधवन के पास है ना, शुब्बू ? उसमे भी इतना निर्देश और मुझे तो अपनी चील जैसी आंखों से बार बार घुरे जा रही थी,
-प्रेमम पिंजरम
(कहानी)
-Srishtichouhan