*नूतन उपमाओं को*
हवाओं की कूलों पर
बहती सुगंध की पुरवाई
स्मृतियाँ जब डोल जाएँ
मन के कछारों पर
बौरायी चाहत की ध्वनियाँ
झाँक जाएँ संध्या की आँचल में
तुलसी के दोहों में
सपने जब थिरक जाएँ।
आंगन की तुलसी पर
श्रद्धा के दीये-सी
ख़्वाहिश कुमारी हो
अरमानों की खनक
गायों के बछड़ों की बाड़ी सी
थाली बड़ी प्यारी सी
सुंदर सुंदर फूल रखे हों
रोली चंदन और हो घण्टी
छोटे छोटे लड्डू गोपाल
बूड़ी ममता प्यारी हो।
घर की मुडेर में
कौवे की कौं कौं हो
किरणों का स्वागत हो
चिड़ियाँ चहचहाएँ द्वारे पर
छंद, सोरठा, चौपाई खनकें
ऊँघती नींद पहचान जाएँ
नूतन उपमाओं को
रचनाकार:-शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'
सर्वाधिकार सुरक्षित
19/12/2020