संग काना
मोहे प्रित लग गईं
तोरे संग कान्हा।
प्रेम की भाषा
बता दो न कान्हा।
आज ये कैसी आई घड़ी
तोरे सामने राधा खडी
मोहे छोडकर
चलदो न कान्हा ।
प्रेम की भाषा
बता दो न कान्हा ।
प्रेम पुजारन मे , सुध-बुध खोई
तोरी धुन में, निशदिन सोई
प्यार की पलकें
पढलो न काना ।
प्रेम की भाषा
बता दो न कान्हा।
- જયુ ઠાકોર