जो नजर में बसी है ,जो मन को मेरे भायी है
जो दिल मे धड़कती है जो साँसों में समाई है
जो रूह सी है जो कोहनूर सी है
जो पुरानी शराब की सुरूर सी है
जो दिल का सुकून है जो दिल की करार है
जो मदमस्त हवा सी है जो बरसती फुहार है
जो मेरी रातो के नीदों की हसीन ख्वाब है
जो चाँद की चाँदनी है जो फूलो में गुलाब है
मेरा सनम वही पास होकर भी कितना दूर है
धड़कन तो बढ़ जाती है बस दिल ही मजबूर है
-Sunil Gupta