दिल के सबसे पास सबसे खास हो तुम
मेरे जीने का ,मरने का एहसास हो तुम
मेरे सूखे बीरान जीवन की पहली बरसात हो तुम
जो पानी से भी ना बुझ पाए
ऐसे कुएं की प्यास हो तुम
मेरे शब्दों के छोटे से दायरे में ना समाए
वो खुदा की कायनात हो तुम
दिल के सबसे पास ,सबसे खास हो तुम
खुदा खुद ना सका इसलिए
उसका दूसरा रूप (मां) हो तुम
मेरे जीने मरने का एहसास हो तुम
सबसे खास हो तुम।