राधा सा इज़हार करूंगी तुम कान्हा बन कर आ जाना,
सबरी सा इंतजार करूंगी तुम राम बन कर आ जाना।
जब भी खो जाऊं मैं उन तारों की भीड़ में, तुम चांद बन के चमकाना।
जब भी याद करूं मैं तुझको बारिश बन कर छू जाना।
जब भी मांगूगी मैं तुझको बस कैसे भी आ जाना ..... बस कैसे भी आ जाना....
- चंचल सिंह