कितना अच्छा होता ना कि
तेरी ख़ामोशी में ,
मैं तुम्हारी आवाज़ बन जाता,
तुम्हारी अनकहीं सी अहसासों की,
मैं अल्फाज़ बन जाता।
कितना अच्छा होता ना कि,
तुम्हारी उदासी में ,
मैं तेरे लबों की मुस्कान बन जाता
तुम गुनगुनाती जो गीत
मैं उन गीतों के साज़ बन जाता
कितना अच्छा होता ना कि,
मैं हर कदम तेरे साथ चल पाता
तुम्हारी मुश्किल भरी जिंदगी की
मैं एक राह आसान बन जाता ।।
~~~अमित RAJ---