क्या तुम बोलो गे भगत को?
क्या बोझ को दोगे जवाब?
बेह गया सैलाब सारा मिट गया इंकलाब ।
क्या देश भक्ति रह गयी आलोचना और नारो मे या बिक रही किलों के भाव अखबारॉ मै बाजारों मै।
अरे असफाकउला मे आयोध्याथी बाबरी बिस्मिल मै थी।
सरफरॉसी की तमन्ना तब लोगो के दिल मे थी ।