अगर प्रत्येक व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार करना शुरू कर दे तो देश की आधी से ज्यादा आबादी की पारिवारिक समस्याएं स्वतः सुलझ जाएंगी और न्यायालय के आधे से ज्यादा केस भी। पारिवारिक विखण्डन के इस युग में बच्चों का व्यवहार अपने उम्र से पहले हीं बड़ो जैसा बनता जा रहा है जो कि एक बड़ी समस्या बनती जा रही है इसलिए ज़रूरी है कि उन्हें परिवार के मसलों से दूर रखा जाए। उन्हें शिक्षा सिर्फ़ जीविका चलाने के लिए नहीं बल्कि परिवार चलाने की लिए दिया जाए इसलिए जरूरी है उन्हें व्यवहारिक शिक्षा दी जाए। आज शिक्षा के गुणवत्ता का स्तर हद से ज्यादा गिर गया है यहाँ सिर्फ़ किताबी ज्ञान दिया जाता है व्यवहारिक नहीं है।यहीं कुछ हद तक कारण है संयुक्त परिवार के टूटने का और यहीं कारण बनता जा रहा है एकल परिवार के भी टूटने का।