Hindi Quote in Poem by Bhupendra kumar Dave

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कोरोना तेरे कारण

दरवाजे खुले हैं मगर अंदर कोई नहीं आता

चाँदनी रात में चाँद देखने कोई नहीं आता।



अब तो फूलों में दुबककर महक रह जाती है

अब तो काँटों की छुअन भी चुभन बन जाती है

अब परिन्दों की चहक चीखती नजर आती है

अब तो कोयल की कूक उदास नजर आती है



इस अतुल सृष्टि का सृजन देखने कोई नहीं आता

कोरोना तेरे कारण

दरवाजे खुले हैं मगर अंदर कोई नहीं आता

चाँदनी रात में चाँद देखने कोई नहीं आता।



अब शबनमी बूँदें पंखुड़ियाँ जला देती हैं

अब बीरबहुटी दूब से नजर हटा लेती है

भ्रमरों की गुंजन में कलियाँ झूमती नहीं हैं

महकती हवा में तितलियाँ तक उड़ती नहीं हैं



किसे अब आवाज दें मित्र बनने कोई नहीं आता

कोरोना तेरे कारण

दरवाजे खुले हैं मगर अंदर कोई नहीं आता

चाँदनी रात में चाँद देखने कोई नहीं आता।



इस वीराने में अकेला कब तक कोई रहे

रोककर साँस भी बेचारा कब तक कोई चले

लजाती हुई कहीं सेज भी अब सजती नहीं है

मुस्कराहट तक आंगन में अब खिलती नहीं है



जिन्दगी की निशानी तक ढूँढ़ने कोई नहीं आता

कोरोना तेरे कारण

दरवाजे खुले हैं मगर अंदर कोई नहीं आता

चाँदनी रात में चाँद देखने कोई नहीं आता।



अब पद पद पर मखमली राहें दिखती नहीं हैं

माथे लगाने लायक माटी मिलती नहीं है

अब मजार पर भी चादर चढ़ाई नहीं जाती

बेकफन लाश की भी लाज बचाई नहीं जाती



अब फूल भी अर्थी पर चढ़ाने कोई नहीं आता

कोरोना तेरे कारण

दरवाजे खुले हैं मगर अंदर कोई नहीं आता

चाँदनी रात में चाँद देखने कोई नहीं आता।



..... भूपेप्द्र कुमार दवे



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Hindi Poem by Bhupendra kumar Dave : 111477191
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