अक्सर लफ़्ज़ों को बहकते देखा है
सच और झूठ के बीच झुलसते देखा है
कभी खुशामद के लिबास में
झुठ का सोदा करते
तो कभी तीर से नुकीले बनकर
बिना लहु बहाएं घायल करते देखा है
पर ये आंखें कभी कुछ नहीं छुपाती
दर्द के आंसु हो या खुशी की नमी
आयना बनकर छलक जाती है इनमें
बेवफा बन भी जाएं जो लफ़्ज़
पर ये आंखें वफ़ा निभा जाती है..
अगर शिख लो हुनर इन्हें पढ़ने का
कई बिखरते रिश्तों को संवार लेती है...
#pooji