आज मैने सोचा है, तुम्हे सजा दूँ।
तुम्हारे मनकी दिवारोंपे तस्वीर बनके खुदको जुला दूँ।
तुम्हारे सपनोंके महलकी दीवारों पे,
अपने अरमानोंके रंग बिखरा दूँ।
तुम्हारे मनके द्वार का बंधनवार बन जाऊँ।
तुम्हारी आशाओं के गुलदानको,
अपनी उमंगो के गुलदस्तोंसे भर दूँ।
तुम्हारे अरमानों के ज़रोंखों को,
प्यारकी रोशनी से भर दूँ।
तुम्हारे दिलकी फर्श पे,
शुकून का मखमली कालीन बिछादूँ।
फरिश्ते क्या तारीफ करेंगे तुम्हारी
लो मैं ही कहे देती हूं 'आमीन'।
आज मैंने सोचा है,तुम्हे सजा दूँ।