तू कर शुरूआत,बिन सोचे अंत क्या हो,
जीवन के सफ़र की गणित में अंक क्या हो,
होना हो जो हो,नीयत साफ़ रखकर चल,
वो ऊपर बैठा ख़ुदा,करेगा मुश्किलें हल,
पापी दुनिया में निष्पक्ष बने गर चला तू,
देर से ही सही पर पाएगा अनमोल सिला तू,
यह सोचकर झुकना नहीं,किसीका मत क्या हो,
तू कर शुरूआत, बिन सोचे अंत क्या हो (शाहीन)