भारत में फूट - फूट कर रोया कोरोना जब सुना
"कोरोना मैय्या की जय"
व्यंग्य
सुनसान सड़कें कोरोना का डर, हर जगह लॉक डाउन या कर्फ्यू पर कुछ लोगों में डर से ज़्यादा मज़े के भाव हैं। अद्भूत मिश्रण है, खुशी और भय का। ऐसा लग रहा है, भारत के घर-घर मे पकवान बनाने की प्रतिस्पर्धा हो रही है। हर घर में कोरोना मैय्या की पूजा हो रही है।
त्यौहार की तरह लोग कोरोना सेलिब्रेट कर रहे हैं। कही पकौड़ों की खुश्बू है तो कभी ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मोमोज को भारत सरकार ने राष्ट्रीय पकवान का दर्जा दे दिया। चाइना को चिढ़ा - चिढ़ा कर खा रहे है कि देख ! तेरे कोरोना की क्या हालत कर दी हमनें।
पड़ोस से भाभी की प्लेट की प्लेट में पकौड़े सज - सँवर के आते हैं और हमारे घर से जलेबी इठलाती हुई उसी प्लेट में वापस चली जाती है। वाह ! हमारे घर की तरला दलाल, हमें पता होता कि तुम इतनी गुणी हो तो इतने साल हम खामखा बीकानेर वाले पर पैसे न लुटाते और तो और हमें पता ही नहीं था कि हमारे सुपुत्र ने संजीव कपूर से ट्रेनिंग ली है । इतना बढ़िया कड़ाही पनीर तो हयात रीजेंसी में भी नही मिलता होगा। ज़रा इस कोरोना को समुद्र में फेंक आये मोदी जी फिर बुलाते हैं आपको घर खाने पर।
कितने जूझारू प्रवत्ति के हैं हम भारतीय ? हमारे यहाँ कम्पटीशन चल रहा है, किस की टिकटॉक ज़्यादा अच्छी, कौन बनेगी "टिकटॉक क्वीन" की विजेता और कौन होगा "टिकटॉक किंग" ? तेरी टिकटॉक मेरी टिकटॉक से अच्छी कैसे ? पर वाद - विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित हो रही हैं। और हमारी राजकुमारी ने जी - जान लगा रखी है अपनी टप्पू सेना के साथ उसे जीतने के लिए। लगे रहो राजकुमारी, ऑल दी बेस्ट !
हमारा राष्ट्रीय फैमिली गेम बनने के लिए ऑनलाइन लूडो और तंबोला में जबरदस्त कम्पटीशन चल रहा है। कभी लगता है लूडो, तो कभी लगता है तंबोला बाज़ी मारेगा। बिल्कुल बराबरी की रेस में है दोनों महारथी, मेरी अग्रिम शुभकामनाएँ विजेता के साथ और संवेदनाएँ रनर अप के प्रति।
अब बारी आती है, एकल प्रतियोगोता की, तो इसकी तो न ही पूछो तो अच्छा ! बाप रे बाप ! कई बार तो घर के किसी कोने से आवाज़ आती है मार दे। उसे मार दे वो गाड़ी के पीछे छिपा बैठा है, गोली मार दे साले को, अरे! तू मुझे गोलियां दे, मैं मारता हूं इसे। पहले - पहल तो मैं सचमुच घबरा गया कि मैंने बेटे को पढ़ने भेजा था बाहर। प्रभु ! ये कौन सी मुसीबत में फंसा दिया ? ये कब टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन (आंतकवादी संगठन) में शामिल हो गया। लश्कर ए तैयबा, जैश की ब्रांच यहाँ कब खुली ? वो तो जब उसके पीछे चुपचाप जाकर खड़ा हुआ और देखा कान में ईयर फोन लगाकर साहब 'पब जी' टाइप किसी गेम के किसी संगठन के सरगना बने हुए हैं और संगठन में मासी, चाची, ताई सब के बच्चे और इनकी मित्र मंडली भी शामिल है।
हे ईश्वर !