प्रतियोगिता
विषय--कोरोना का कहर
एक रचना हमारी भी
🌹22 मार्च की शाम🌹
अनेकों आपदाओं ,विपदाओ
हादसों, आतंकवादी हमलों,
क्या कारगिल का युद्ध,
किया है सदा ही सामना
हमारे हिंदुस्तान ने,
ना हार तब भी मानी थी,
ना हार अब भी मानेगा।
क्या चेचक, टीवी, कालरा
और क्या अब कर लेगा
कोरोना,
मानवता ,इंसानियत,
दया, ममता, अपनेपन
का पाठ पढ़ा रहा है
आजकल यह कोरोना
22 मार्च की शाम
अजब था वह नजारा
भर गया नैनों में अश्रु की धारा,
घरों के बाहर बज रहे,
ढोल ,नगाड़े ,संख,मंजीरे
देख पाया की,
कौन-कौन रहता है
हमारे घरों के आसपास,
अनजान थे हम अब तक
सभी एक दूसरे से,
पर अब पहचानने लगे हैं आज।
माना कि कोरोना का कहर
है अति भारी और
दुनिया जहान में फैली
है यह महामारी
समझ आया इंसान को
दौलत से ज्यादा जान है प्यारी है,
घरों में बंद कीमत
पहचानी जा रही रिश्तो की सारी,
हौसला ना हारेंगे,
हम तो बाजी मारेंगे,
जी हां आखरी होगी बाजी हमारी।
डॉ प्रियंका सोनी "प्रीत"