जैसे तैसे मैंने जिंदगी ग़ुजार दी। कुछ अपनी थी, कुछ उधार की। मैं तो कब का मर चुका था। तेरे अमृतरस ने बची जिंदगी सुधार दी। शुक्रिया तेरा करु तो कुछ मेरा भी बाकी है। उधार तो खत्म हो चुका कब का,अब तेरा हिसाब बाकी है। सोचा है मिलकर खत्म करे ये पुराने खाते। मोहब्बत ज्यादा लंबे हिसाब नहीं चलते। सच्ची मोहब्बत के आकडे अजीब है। जो मिल जाये तो अनगीनत है। नहीं मिल पायें तो खातें प्यार की वसीहत है।