मैं चला, रुका, फिर मुंडा और फिर चला।
इस गली से उस गली और फिर एक और गली।
पूछना चाहता था, मगर पूछ न सका।
डर, मेरे पीट जाने का,
या फिर तेरा बैपरदा हो जाने का। पता नहीं।
फिर थोड़ी हिम्मत की और एक हमउम्र लड़के से पूछ बैठा।
ये शारंग महोल्ला, लक्ष्मीनगर, ३/१२ घर कहा को पड़ेगा।
उसने पता देख, कुछ देर तो शर खूजाया।
फिर हंसकर बोला, पता यू है की शारंग महोल्ला तो है। मगर लक्ष्मी नगर, उसके बाजु के महोल्ले में पड़ता है। और ये घर नंबर उससे के आगे महोल्ले का है। मतलब ये कि, ये पता जीसने भी आपको दिया है। उसने आपसे मजाक किया है।
इस बात पर मैं हलका सा हंस पड़ा। और पता उसके हाथों से लेकर चल पड़ा। ये सोचते हुए कि,
यू तो तेरा ठिकाना ढुंढना इतना मुश्किल न होता। अगर पता मैं ढुढता।
वैसे तेरी बातों से भी जाना लेता में, कि तुम झूठ बोल रही हो। पर साली नजरो से आंखें हटे तो बातो में ध्यान जाएगा। तुमने पता दिया। मैंने ले लिया।
चलो छोड़ो अब इस बात को।
इस बहाने ये तो पता चला कि तुम इन गलियों में नहीं रहती।
- रेरा