कहीं धुप है, कहीं छाव है
कही हजारों उलझनें राहों में
कही कोशिशें बेहिसाब है
कही नफ़रत सी खटास है
कही प्यार सी मिठास है
कही अंधेरे सी सुनसान है
कही उजालों सी मुस्कान है
कही ख्वाबों सी कैद है
कही 'पर' फैलाती सी उड़ान है
यही तो ज़िन्दगी है ज़नाब.....
#जिंदगी