तू ही मेरा साथ, तू ही मेरी परछाई रही
कभी कोरे कागज सी, कही क़लम सी रही
कभी दोहों में, कही नज़्मों सी लिखी
कभी लफ्ज़ो में, कही ख़ामोश सी रहीं
कभी जन्नत में, कही इंसान सी रहीं
कभी तलाश में, कही ठहरीं सी रहीं
कभी उलझें धागों में, कही बुनते ख़्वाबों सी रही
हे ज़िन्दगी तू हर रंगों में, रंगीन सी रहीं
कभी शायराना, सूफियाना अंदाज़ सी रहीं
तू बड़ी लाजवाब कुछ बेमिसाल सी रहीं
शुक्रिया तू मेरे साथ मेरी परछाई सी रहीं
हे ज़िन्दगी तू हर रंगों में, रंगीन सी रहीं
शुक्रिया तू मेरे साथ मेरी परछाई सी रहीं
#जिंदगी