वो इक शख्स जो उसके करीब लगता है,
जहां में सबसे ज्यादा खुशनसीब लगता है।
दुआ है मेरी कि दुआ उसकी कुबूल ना हो,
वो शख्स रिश्ते में मेरा रकीब लगता है।
नजरों से नाप लेता है अरमाओ के खेत को,
पटवारघर की मुझे वो कोई जरीब लगता है।
हमने नहीं देखा उनको पास रहकर भी पूरा,
कौन कहता है कि वस्ले इश्क़ हबीब लगता है।
सुना है माल चाइना का ज्यादा नहीं टिकता,
कोरोना मिट न रहा मसला ये अजीब लगता है।
✍️जीत जांगिड़ सिवाणा