दुनिया
ये हमारी दुनिया है, हम चाहे जो करे,
क्यों न अपनी एक दुनिया बनाये?
जहा सब याकिफ़ हो और कोई उम्मीद न हो।
चलो हम अपने आपको ढूंढे,
अपने जज्बातो को छोड़े,
अपने ही मंजिल के साथी बनके,
क्यों न अपनी एक दुनिया बनाये।
छोड़े कुछ अधूरी कहानियो को,
चलो एक नई ग़ज़ल बनाये,
अपने दिल को महसूस कर कर,
क्यों न अपनी एक दुनिया बनाये ।
अपने भविष्यके भार को छोड़ कर,
आखो के सपनो को पूरा करे,
हारी बाज़ी को फिर से लगाके,
क्यों न अपनी एक दुनिया बनाये ।
सपने हज़ारो दिखते है,
हमे हमारे विचारों में,
रातो के सपनो को छोड़ कर,
क्यों न पार्थ, अपनी एक दुनया बनाये|
ये हमारी दुनिया है, हम चाहे जो करे,
क्यों न अपनी एक दुनिया बनाये?
जहा सब याकिफ़ हो और कोई उम्मीद न हो।