?कन्या- पूजन?
नौ कन्या भी पूजन को,
जहाँ नहीं मिल पाती है,,
सौ दुर्गा लाने की गाथा,
मन व्याकुल कर जाती है।
पैदा होने से पहले ही,
स्वकन्या मारी जाती है,,
ना जाने इस देश में कैसे,
माँ दुर्गा मानी जाती है।।
अस्तित्व जहाँ पर नारी का,
नित-नित तोड़ा जाता है,,
नज़र मिला कैसे हम कह दें,
माँ तुझसे मन का नाता है।
पैरों में पहना के बेड़ी,
पढ़ने को बोला जाता है,,
बढ़ते कदमो को फिर उसके,
हरपल रोका-टोका जाता है।
बेटी को हम बेटे के जैसे,
सम्मान व अवसर दे पायेंगे,,
तब ही माँ दुर्गा का वन्दन,
सफल सार्थक कर पायेंगे।।
राजीव कुमार गुर्जर