जो दिल में तुम्हारी एक तश्वीर है। जब वह हल्की तिरछी होकर मेरे दिल को चोट पहुंचा गई तो मुझे सोचना पड़ा।
तुम्हारी चटपटी यादों ने जो तुम्हारे झूठे पन से मेरे दिल में कड़वाहट दे गई तो मुझे सोचना पड़ा।
तुम्हारे प्रति मेरा प्यार,मेरी चिंता,मेरा त्याग जब तुम्हारे लिए नफरत बन गई तो मुझे सोचना पड़ा।
तुम्हारी शरारतें, तुम्हारा बचपना जब आज मुझसे बड़ी हो गई तो मुझे सोचना पड़ा।
मेरे कंधे पर मेरे हाथों की थपकी और मेरी गोद की कोमलता जब आज तुम्हारे लिए कांटे बन गए तो मुझे सोचना पड़ा।
मेरा लगाव, मेरी ममता जब आज तुम्हारे लिए नाटक बन गए तो मुझे सोचना पड़ा।
पर तुम भी, कभी शांति मन से यह सोचना कि क्या यह बस सोच तक सिमीत है?
तुम्हारी सोच जो मुझसे घृणा कर गई तो मुझे सोचना पड़ा।