Hindi Quote in Shayri by Himanshu Sevak

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काँप उठता हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में मेरे चेहरे पे तिरा नाम न पढ़ ले कोई ll

जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा उस तरह से न कभी टूट के बिखरे कोई ll

मैं तो उस दिन से हिरासाँ हूँ कि जब हुक्म मिले ख़ुश्क फूलों को किताबों में न रक्खे कोई ll

अब तो इस राह से तुम गुज़रती भी नहीं अब किस उम्मीद पे दरवाज़े से झाँके कोई ll

कोई आहट कोई आवाज़ कोई चाप नहीं दिल की गलियाँ बड़ी सुनसान हैं आए कोई ll

Hindi Shayri by Himanshu Sevak : 111237340
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