*लौट आओ पापा*
छुटे हुए मोड़ पर
कई दफ़े मन करता है लौट जाने का
आप के पास आने का
बहुत से उत्तरित अनुत्तरित
प्रश्नों को पुनः दोहराने का
वक़्त पर बातें छोड़ देने का
आपका धैर्य थामें
समय के दिए गए उत्तरों के साथ
आज मैं आना चाहती थी पास आप के
बाँट तो अब भी लेती हूँ मैं आपसे
अपना गुस्सा अपनी मुस्कुराहटें
असंजस की कई परिस्थितियाँ
मगर बिन आपके
जीवन में सबकुछ अधूरा लगता है
उम्मीद, स्नेह और ढांढस बंधाती
आँखे साथ तो अब भी है मेरे मगर
सीने से लग जाने की उत्कंठा
वक़्त वक़्त पर नमी दे जाती है
यादें आपकी सहलाती हो बहुत हैं
मगर
रुलाती भी बहुत है
शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)