*अधूरापन*
पूरा नही होना चाहती मैं...
पूरा हो जाना
मुझमें बेचैनी जगाता है
एक झुंझलाहट
एक कोफ़्त
एक घुटन जगाता हैं....
फिर तलाशने लगती हूँ मैं
कुछ अधूरा
जिसमे में उलझी रहूँ
कुछ ढूँढती रहूँ
नित नये जतन करू
अधूरे के सिरे ढूँढने का....
कुछ अधूरा
मुझे असीमित
कल्पनाएँ देता हैं
मेरी सोच को
विस्तृत आकाश देता है
और
शब्दों को सँवारने की वज़ह भी...
शिरीन भावसार
इंदौर (मप्र)