Hindi Quote in Motivational by Pratibha Gautam

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प्राचीन काल में संस्कृत भाषा में कई प्रसिद्ध रचनायें रची गयी। इन रचनाओं के रचनाकारों में अश्वघोष, कालिदास, भारवि जैसे नाम शामिल हैं। इन रचनाकारों में अश्वघोष का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है।

#अश्वघोष , कनिष्क(78 सा.स.) के समकालीन थे। उनकी ख्याति न केवल कवि अपितु दार्शनिक, नाटककार, संगीतकार आदि रूपों में भी थी। अश्वघोष रचित तीन प्रसिद्ध रचनाओं में #बुद्धचरित , #सौन्दरनंद और #शारिपुत्र -प्रकरण शामिल हैं। उल्लिखित रचनाओं में प्रथम दो को महाकाव्य श्रेणी में रखा जाता है तथा तृतीय को नाटक श्रेणी में।

1. बुद्धचरित- अश्वघोष की इस रचना ने न केवल उन्हें महान बनाया अपितु बौद्धकालीन इतिहास लेखन में भी अविस्मरणीय योगदान दिया है। इसमें मूलतः 28 सर्ग(अध्याय) थे किंतु 17 ही प्राप्त होते हैं, जिनमें से 13-14 को ही प्रामाणिक माना जाता है।

बुद्धचरित में महात्मा बुद्ध के जीवन चरित का उल्लेख किया गया है, जिसमें उनके(महात्मा बुद्ध) गर्भ में होने से लेकर धातु युद्ध, प्रथम बौद्ध संगीति व अशोक के राज्य तक का वर्णन किया है।

2. सौन्दरानंद- यह 18 सर्गो में लिखा गया है। इस महाकाव्य में महात्मा बुद्ध के सौतेले भाई सुन्दरनंद द्वारा उनके प्रभाव में सांसारिक मोहमाया त्यागने का सुंदर वर्णन किया गया है। सात ही, उनकी पत्नी की वेदना को शब्द देने का सफल प्रयास किया है।

3. शारिपुत्र-प्रकरण, एक अन्य ग्रन्थ है जिसकी प्रसिद्धि ने अश्वघोष को कीर्तिमान बनाया। यह 9 अंकों में विभाजित है एवं नाटकीय रूप में है। इसमें शारिपुत्र के बौद्धमत में प्रविष्ट होने का खूबसूरत वर्णन किया गया है।

अश्वघोष की अन्य रचनाओं में महावस्तु, दिव्यवदान और ललितविस्तर को शामिल किया जाता है।

अश्वघोष कवि होने के साथ साथ दार्शनिक भी थे अतः उनकी रचनाओं में दर्शन का प्रभाव स्पष्तः दृष्टिगोचित होता है। सरलता, मधुरता उनके ग्रन्थों की खासियत है। इनमें करुण एवं हास्य रसों का सम्मिश्रण होने के कारण ये रचनायें लोगों के दिलों में घर कर जाती है।

Hindi Motivational by Pratibha Gautam : 111188743
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