कहा था ना याद बहुत आएंगे
जब जब उस चाँद को देखोगे
क्या याद किये बिना उस चांदनी में जी पाओगे
जब जब उस तालाब को देखोगे
क्या याद किये बिना उसमे पत्थर फेंक पाओगे
जब जब उस उपवन को देखोगे
क्या बिना हमारे उसमे ख़ुशी से बैठ पाओगे
जब जब उस हँसी को हँसोगे
बिन हमारे भी उस हसी में हमे ही पाओगे
याद आये जब जब हमारी हाथ में लेना उस पुस्तक को
पड़ लेना एक दो गजलों को
जहाँ भी देखोगे रदीप व काफिये की तरह हमको पाओग..!!
-प्रमोद बम्मानिया