#काव्योत्सव2 (प्रेरक)
'जीत'
हर हार में अपनी जीत सुनो,
पथ एक नया फिर से चुन लो।
मंजिल तक वे ही जायेंगे,
जो कभी ना हिम्मत हारेंगे।।
पथ पर चलना है काम तेरा,
आगे ही बढ़ते जाना है।
छोटी सी एक असफलता से,
तनिक नही घबराना है।
मंजिल उनको ही मिलती है,
जो आगे बढ़ते जाते हैं।
उठते हैं फिर चल पड़ते हैं,
वे अपना भाग्य बनाते हैं।।
नृपेंद्र शर्मा"सागर"