कभी-कभी लगता है,
दुनिया में कोई नहीं है,
तेज धूप से धरती जल रही है,
आकाश तक आग की लपटें उठ रही है,
दूर विरानों में तड़पती, जिन्दगी करती सवाल,
इतनी बड़ी दुनिया में, क्या ख़त्म हो गया है प्यार,
हर ओर सन्नाटा पसरा है,
कहीं कोई आवाज़ नहीं है,
जिन्दगी अपना अस्तित्व खो रही है,
हवा जहरीली बनकर मौत बांट रही है,
प्यार की राह पे चलती, जिन्दगी हुई लाचार,
हर किसी के दिल में, क्यों बनी नफ़रत की दीवार,
सब कुछ उजड़ा पड़ा है,
आबादी की कोई आस नहीं है,
पृथ्वी धीरे-धीरे फूल रही है,
फटकर मिटने के लिए आतुर हो रही है,
नफ़रत के साये में मरती, जिन्दगी रहती बेजान,
इतने सारे इन्सानों से, कहाँ हुई इन्सानियत फ़रार,
.............................#Varman_Garhwal
30-04-2019, #वर्मन_गढ़वाल
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