इस दुनिया में जो कुछ भी आपके पास है, वह बतौर अमानत ही है और दूसरे की अमानत का भला गुरुर कैसा ? बेटा बहु की अमानत है, बेटी दामाद की अमानत है, शरीर शमशान की अमानत है और जिन्दगी मौत की अमानत है।
अमानत को अपना समझना सरासर बेईमानी ही है। याद रखना यहाँ कोई किसी का नहीं। तुम चाहो तो लाख पकड़ने की कोशिश कर लो मगर यहाँ आपकी मुट्ठी में कुछ आने वाला नहीं है। अमानत की सार-सम्भाल तो करना मगर उसे अपना समझने की भूल मत करना और जो सचमुच तुम्हारा अपना है, इस दुनियां की चमक - दमक में उसे भी मत भूल जाना।
यह सच है कि इस दुनिया में कोई तुम्हारा अपना नहीं मगर दुनिया बनाने वाला जरुर अपना है फिर उस अपने से प्रेम न करना बेईमानी नहीं तो और क्या है।